मद्रास हाईकोर्ट में सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों पर ESI (ईएसआई) अधिनियम के आवेदन से जुड़े मामले पर सुनवाई के लिए महिला न्यायाधीशों की एक पूर्ण बेंच का गठन किया गया है
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से कुछ समय पहले, सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों पर ESI (ईएसआई) अधिनियम के आवेदन से जुड़े मामले पर सुनवाई के लिए महिला न्यायाधीशों की एक पूर्ण बेंच का गठन किया गया है। इस बेंच को मुख्य न्यायाधीश ए पी शाही द्वारा गठित किया गया है। ए पी शाही द्वारा गठित इस बेंच में जस्टिस पुष्पा सत्यनारायण, जस्टिस अनीता सुमंत और जस्टिस पीटी आशा हैं।
आपको बता दें, वर्तमान समय में मद्रास उच्च न्यायालय में 55 में से 9 महिला न्यायाधीश हैं। यह हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार होगा जब एक महिला-पूर्ण बेंच किसी मामले की सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश एपी साही के साथ न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने निम्न प्रश्न को बड़ी पीठ के लिए संदर्भित किया है। “क्या राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थानों को कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 की धारा 1 (5) के तहत एक ‘प्रतिष्ठान’ माना जा सकता है, ताकि कानून के प्रावधान उन पर लागू किए जा सके।”
बीते साल All India Private Educational Institution Association (ऑल इंडिया प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन एसोसिएशन) द्वारा दायर रिट याचिका में आरोप लगाया गया है कि तमिलनाडु सरकार द्वारा निजी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के मध्य अंतर किया है। जिसके बाद इससे संबंधित कई याचिकाएं दायर की गईं, जिन्हें पूर्ण पीठ द्वारा आम सुनवाई के बाद निपटारा किया जाएगा। गौरतलब है कि, मद्रास उच्च न्यायालय पहले ही मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी के कार्यकाल के दौरान एक महिला प्रभाग खंडपीठ बना चुका है। Read More
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