
रंग,गुलाल और प्रेम के साथ मस्तीभरे अंदाज में होली के त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार का संबंध कुछ कथाओं से जुड़ा हुआ है।
होली का त्यौहार रंगो, गुलाल और प्रेम के साथ मस्तीभरे अंदाज में मनाया जाता है। ये त्यौहार बच्चे से लेकर बड़े हर कोई मनाते है। इस दिन अलग-अलग रंगों की छटा से माहौल सराबोर रहता है। अगर इसके पौराणिक महत्व की बात करें तो इस त्यौहार का संबंध देवी-देवताओं से है। इसलिए होली वाले दिन देवताओं को रंग लगाने के बाद ये त्यौहार शुरू किया जाता है। होली के त्यौहार को राधा- कृष्ण के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। इस बार होली का त्यौहार 10 मार्च मंगलवार के दिन आ रहा है। आपको बता दें कि इस त्यौहार से तीन देवताओं की कथा जुड़ी हुई है। इसलिए होली के त्यौहार को इन तीन देवताओं को समर्पित किया जाता है।

भगवान महादेव की कथा
होली का पर्व से महादेव के विवाह का एक अनोखा संबंध है। जैसे की आपको पता ही है कि महादेव हमेशा तपस्या में लीन रहते थे। लेकिन एक दिन देवताओं के आदेश से कामदेव ने कैलाश पर्वत पर जाकर भोलेनाथ की तपस्या को भंग कर दिया और उनके अंदर काम वासना को जागृति करने की कोशिश की। ये बात पता लगते ही महादेव ने कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया। इसी को लेकर मान्यता है कि होलिका के जलने का प्रसंग इसी घटना के बाद हुआ था। इसके बाद भोलेनाथ ने कामदेव को क्षमा कर दिया और पार्वती से विवाह कर लिया।
भगवान श्रीकृष्ण की कथा
मान्यता है कि जब महादेव ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था। तब कामदेव की पत्नी रति और देवी पार्वती कामदेव के नए जीवन के लिए प्रार्थना की। ये बात सुनकर जब महादेव को हकीकत का पता चला तो उन्होंने देवी पार्वती और रति की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। और कामदेव-रति को श्रीकृष्ण और राधा के रूप में पुनर्जन्म दे दिया। जिसके बाद से मान्यता है कि भगवान कृष्ण और राधा मिलकर एक साथ होली खेलते है।
भगवान विष्णु की कथा
वैदिक शास्त्रों के अनुसार विष्णु भगवान के भक्त प्रह्लाद को एक दिन प्रह्लाद के पिता हिरणयकश्यप ने प्रह्लाद को होलिका की गोद में बिठाकर उन्हे जलाने का प्रयास किया था। लेकिन प्रह्लाद को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था जिस कारण प्रह्लाद को तो कुछ नहीं हुआ पर होलिका जल गई और श्रीहरी की कृपा से प्रह्लाद बच गया था।
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