
बीहड़ में आतंक का
पर्याय बन चुके मलखान सिंह भले ही अपनी बंदूक छोड़ चुके हो। लेकिन पुलवामा घटना को
लेकर उनका खून खौल रहा है। मलखान सिंह का कहना है कि बीहड़ में अभी भी सात सौ बागी
बचे हुए हैं। अगर सरकार चाहे तो वे बॉर्डर पर जाकर दुश्मन से लोहा ले सकते हैं। वो
भी बगैर किसी वेतन और सुविधा को लिए। मध्य प्रदेश से कानपुर शहीदों को श्रद्धांजलि
देने पहुंचे मलखान सिंह ने कहा कि हम अनाड़ी नहीं हैं। हमने 15 साल चंबल के
बीहड़ों में कथा नहीं बांची है। मलखान सिंह ने कहा कि बागी चाहते हैं उन्हे बॉर्डर
पर भेज दिया जाए।
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