FATF (Financial Action Task Force) से संबंधित संस्था एशिया पेसेफिक ग्रुप (Asia Pacific Group) ने आतंकियों की फंडिंग पर शिकंजा कसने में नाकाम पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने की सिफारिश की है। पाकिस्तान की बदहाली पर यह एक और कील ठोकने जैसा है। यह इस लिहाज से भी बेहद खास है क्योंकि इस फैसले का असर अक्टूबर में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में देखने को जरूर मिलेगा। एफएटीएफ के 27 प्वाइंट एक्शन प्लान की 15 महीने की समय-सीमा खत्म हो रही है। आस्ट्रेलिया के कैनबरा में चली एपीजी की बैठक में यह पाया गया कि आतंकवाद की फंडिंग रोकने को लेकर जो 40 मानक बनाए गए थे उनमें से 32 का पालन पाकिस्तान ने नहीं किया। इतना ही नहीं वित्तीय पोषण और धन शोधन के 11 में से 10 मानकों को भी वह पूरा नहीं कर सका।
वहीं, एक और अधिकारी ने बताया कि अब पाकिस्तान को अक्टूबर में FATF की काली सूची में जाने से बचने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. बता दें कि अक्टूबर में FATF की 27 बिंदू कार्ययोजना की समय-सीमा खत्म होती है.
FATF से ब्लैकलिस्ट होने का मतलब पहले से चरमराई पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की कमर टूटना होगा. दरअसल FATF से ब्लैकलिस्ट देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज और वित्तीय मदद मिलने के रास्ते करीब-करीब बंद हो जाते हैं. फिलहाल पाकिस्तान को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
बता दें कि इस साल ही जून में FATF ने कहा था कि पाकिस्तान आतंक के वित्तपोषण पर अपनी कार्ययोजना को पूरा करने में नाकाम रहा है. उसने पाकिस्तान को अक्टूबर तक इसे पूरा करने या कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा था.
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