जुवेनाइल जस्टिस कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट में बताया कि 5 अगस्त से 23 सितंबर के बीच 9 से 18 साल तक के 144 बच्चों को गिरफ्तार किया गया।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही इस पर बहस जारी है इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की किशोर न्याय समिति यानी जुवेनाइल जस्टिस कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया कि, 5 अगस्त से 23 सितंबर के बीच 9 से 18 साल तक के 144 बच्चों को गिरफ्तार किया गया। जिनमें से 13 से 18 साल तक के उम्र के 9 बच्चों को अशांति फैलाने की आशंका के चलते गिरफ्तार किया गया, वहीं बाकी को शांति भंग करने के मामले में गिरफ्तार किया गया।
जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ बाल अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। बता दें कि कार्यकर्ताओं ने अपनी याचिका में यह भी बताया था कि 5 अगस्त को विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में कई नाबालिगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्हें अवैध तरीके से उठाया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 142 नाबालिगों को रिहा कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमिटी की यह रिपोर्ट राज्य पुलिस और एकीकृत बाल संरक्षण सेवाओं से प्राप्त पैनल के आंकड़ों पर आधारित है।
वहीं पुलिस ने इस मामले पर बताया कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों के तहत ही नाबालिग बच्चो को हिरासत में लिया गया। रिपोर्ट में राज्य पुलिस द्वारा कहा गया है कि अवैध हिरासत के आरोप बढ़-चढ़ कर पेश हुए है। कई बार ऐसा होता है कि जब नाबालिग पत्थरबाजी में शामिल होते हैं, तो उन्हें मौके पर पकड़ कर घर भेज दिया जाता है। ऐसी कई घटनाएं बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती हैं। किसी भी बच्चे को अवैध तरीके से हिरासत में नहीं लिया गया। अब तक सिर्फ दो ही बच्चे न्यायायिक हिरासत में हैं, जिन्हें जुवेनाइल होम में रखा गया है। बाकी सभी को रिहा कर दिया गया है।
No comments:
Post a Comment