दो गोलियां 78 साल के महात्मा गांधी को भेदते हुए निकल गई तो वही एक गोली उनके शरीर में रह गई जिससे महात्मा गांधी की मृत्यु हो गई।
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है। बता दें कि आज भी महात्मा गांधी जिंदा हैं । आज भले ही बापू हमारें बीच में नहीं हैं, लेकिन बापू की सोच, व्यहवार और विचारों में आज भी बापू जिंदा हैं। इस मौके पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। जिसमें से एक सिंगल यूज प्लास्टिक भी शामिल है।
एक तरफ हम गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहे हैं, तो दूसरी तरफ 130 करोड़ देशवासियों ने single use plastic से मुक्त होने का संकल्प लिया है। साथ ही 2 से 9 अक्तूबर तक कांग्रेस एक बड़ा जनजागरण अभियान चला रही है। इस आयोजन में देश की आज़ादी के लिए कांग्रेस का योगदान और उनके नेताओं के बलिदान को याद किया जाएगा।
तो वहीं फिट इंडिया प्लॉगिंग रन दो किलोमीटर प्लागिंग दौड़ का कार्यक्रम पूरे देशभर में चल रहा है। इस अभियान में सभी दो किलोमीटर तक जागिंग करके रास्ते में पड़े प्लास्टिक कचरे को भी जमा करेगें। इस अभियान से लोगों में फिटनेस के साथ-साथ स्वच्छता को लेकर भी जागरूकता बढ़ रही है।
इसके अलावा इस बार पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि मुझे पूरा विश्वास है, आप सब दो अक्टूबर को एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक से मुक्ति के लिए होने वाले अभियान का हिस्सा बनेगें और मोदी ने यूनाइटेड नेशन में कहा कि बापू भारतीय थे, लेकिन सिर्फ भारत के नहीं थे।
तो वहीं संयुक्त राष्ट्र में पीएम मोदी और अन्य नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महात्मा गांधीजी का यूएन डाक टिकट लॉन्च किया था। देश को आज़ाद कराने के लिए महात्मा गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान है बापू ने बहुत से आंदोलन किए इन आंदोलनों का असर ऐसा हुआ कि अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
तो चलिए गांधी जयंती के इस मौके पर आपको बतातें हैं मोहन दास करम चंद गांधी से महात्मा गांधी बनने की कहानी 1917 में नील की खेती करने वाले किसानों पर बहुत अत्याचार हो रहा था साथ ही अंग्रेजों की ओर से खूब शोषण हो रहा था जिसको कम करने के लिए महात्मा गांधी ने चम्पारण अंदोलन चलाया था। और दूसरा असहयोग आंदोलन लियांवाला बाग नर संहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी ने अनुभव किया कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याय मिलने की कोई संभावना नहीं है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरूआत की गई थी।
महात्मा गांधी का तीसरा आंदोलन, अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू की थी। नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने 24 दिनों तक रोज औसतन 16 से 19 किलोमीटर पैदल यात्रा की पहले बिहार के चंपारन में सत्याग्रह के दौरान भी गांधीजी बहुत पैदल चले थे।
चौथा दलित आंदोलन समाज से 8 मई 1933 छुआछूत को मिटाने का था जिसमें भारत छोड़ो आंदोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 9 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था। यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से अंग्रेजी साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलीयां मारकर बापू का सीना गोलियों से छल्ली कर दिया था। गांधी जी की हत्या से पूरा देश स्तब्ध था। पूरा देश गमगीन हो गया था।
सत्य और आहिंसा के सबसे बड़े प्रतीक को मिटाने की साजिश। दो गोलियां 78 साल के महात्मा गांधी को भेदते हुए निकल गई तो वही एक गोली उनके शरीर में रह गई जिससे महात्मा गांधी की मृत्यु हो गई। इसकी एफआईआर दिल्ली के तुगलक थाने में दर्ज कराई गई जिसकी एक कापी थाने में लगी हुई है जी हां 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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