क्रिकेट के खेल में कोई नहीं जानता कब क्या हो जाए। कब कौन सा खिलाड़ी जमीं से उठकर आसमां पर पहुंच जाए और कब वो दोबारा फिर उसी जमीं में मिल जाए। यहां ऐसा होते देर नहीं लगती।
क्रिकेट के खेल में कोई नहीं जानता कब क्या हो जाए। कब कौन सा खिलाड़ी जमीं से उठकर आसमां पर पहुंच जाए और कब वो दोबारा फिर उसी जमीं में मिल जाए। यहां ऐसा होते देर नहीं लगती। भारत में लोग क्रिकेट के इतने दिवाने है कि यहां इसे धर्म की संज्ञा दी गई है। भारतीय क्रिकेट को मुकाम पर पहुंचाने में कई खिलाड़ियों खिलाड़ियों ने अहम भूमिका निभाई है। इनमें कुछ कप्तान भी शामिल हैं जिनकी बदौलत टीम इंडिया में काफी बदलाव देखने को मिले।
कपिल देव
भारत में क्रिकेट का वो दौर भी देखा गया है जब टीम इंडिया 1983 में वर्ल्ड कप का खिताब जीतने के मकसद से मैदान में उतरी थी। लेकिन उसे वर्ल्ड कप खिताब की दावेदार भी नहीं माना जा रहा था और कपिल देव जैसे बेहतरीन कप्तान ने भारतीय खिलाड़ियों में जीत का जज्बा भर दिया। उस समय कपिल देव की गिनती दुनिया के सबसे खौफनाक बल्लेबाजों में की जाती थी। कपिल देव के सामने कैसी भी विकेट हो, कोई भी गेंदबाज और दुनिया का कोई सा भी मैदान हो कपिल जब भी बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरते थे, तो बड़े-बड़े गेंदबाजों के पसीने छूट जाते थे। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता था।
सौरव गांगुली
जब भी हम टीम इंडिया के कप्तानों के बारे में बात करते हैं तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि सौरव गांगुली का नाम उसमें ना लिया जाए। सौरव गांगुली भारत के ऐसे कप्तान रहे हैं, जिन्होंने टीम इंडिया को विदेशों में जीतना सिखाया। भारतीय टीम को दादागिरी करनी सिखाई.. अपने टी शर्ट उतारकर घुमाना सिखाया। टीम इंडिया ने जब इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में नेट वेस्ट सीरीज जीती थी तो इस बंगाल के टाइगर की दादागिरी का एक अलग ही रुप देखने को मिला था। जीत के बाद उन्होंने लॉर्ड्स की बालकनी में कमीज उतारकर लहराई थी। उस पल को आज भी हर कोई याद करता है। बंगाल के टाइगर सौरव गांगुली ने एक ऐसी टीम खड़ी कर दी जो देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी जीतना जानती थी। Read More
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