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Wednesday, February 20, 2019

आलोचना को नया आयाम देने वाले नहीं रहे नामवीर सिंह

आलोचना को नया आयाम देने वाले नहीं रहे नामवीर सिंह


नामवर सिंह ने कल रात तकरीबन 11.50 बजे आखिरी सांस ली। 92 साल की उम्र में छोड़ा साथ, करीब एक महीने से दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में नामवर सिंह ब्रेन हैमरेज की वजह से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
नामवर सिंह हिंदी साहित्य जगत का मशहुर सम्मानित नाम हैं। उन्होंने आलोचना और साक्षात्कार विधा को नई दिशा दी है। नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है।
नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की। उसके बाद इसी विश्वविद्यालय में पढ़ाने का कार्य भी किया। काफी लंबे समय तक एक प्रोफेसर के जगह रह कर सेवाएं दी। उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें काफी लोकप्रिय रही थी।
बता दें कि नामवर सिंह जी का वाराणसी जिले (अब चंदौली) के जीयनपुर नामक गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 28 जुलाई, 1926 को हुआ था। उन्होंने 1941 में कविता से लेखक जीवन का आरम्भ किया था। उनकी पहली कविता 1941 में ‘क्षत्रियमित्र’ पत्रिका (बनारस) में प्रकाशित हुई थी, जो बहुत लोकप्रिय रही थी।

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