इस कानून के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव किया गया है। जिसके तहत पहले नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल देश में रहना जरुरी था। लेकिन अब इस कानून के लागू होने के बाद…
देश में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद अब कानून बन चुका हैं. लेकिन इस बिल के पास होने के बाद से देश भर में विवाद और विरोध प्रदर्शन रुकने का नाम नही ले रहा हैं। जहां पहले नागरिकता संशोधन बिल के सिर्फ लोकसभा में पास होने के बाद से ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला तो वहीं अब इस बिल के कानून बनाने के बाद पूर्वोत्तर से लेकर दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है

देश के पूर्वोत्तर राज्यों में NRC का मामला अभी शांत ही हुआ था कि तभी सरकार की तरफ से “नागरिकता संशोधन बिल” सामने आया । हालांकि NRC नागरिकता संशोधन बिल से बिलकुल ही अलग हैं। जिसको सरकार ने सभी मायनों से जांच पड़ताल कर बनाया हैं। लेकिन बिल से लेकर कानून बनने तक देश के हर कोनें-कोनें में इस कानून का विरोध देखने को मिला लोगों का कहना था कि इस कानून से देश में धर्म के आधार पर भेदभाव किया जा रहा हैं।
इस बात को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर दिल्ली तक लोग हंगामा कर रहे हैं. हंगामा भी कुछ ऐसा वैसा नहीं.. जमकर तोड़फोड़ और पत्थरबाजी कर रहे हैं. जामिया में हुई हिंसा ने तो पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.. पुलिस और छात्रों के बीच हुई झड़प में कई लोग घायल हुए. जिसके बाद पूरे देश में राजनीति का दौर शुरू हो गया. राजनैतिक पार्टियां इस बात को लेकर केंद्र सरकार को घेरती नजर आई.
जामिया में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुई हिंसा के दो दिन बाद ही दिल्ली का जाफराबाद और सीलमपुर इलाका भी इस आग की भेट चढ़ गया.. यहां भी हजारों की तादात में प्रदर्शनकारियों ने एकजुट होकर पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी की और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया… करीब 2 घंटे की मेहनत के बाद पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों को वहां से खदेड़ा. देश के अलग अलग हिस्सों में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं हिंसा की कई घटनाएं रोज सामने आ रही हैं.. लेकिन यहां एक सवाल उठता है कि क्या प्रदर्शन करने वाले लोग ये जानते हैं कि जिस कानून का वो विरोध कर रहे हैं वो आखिर है क्या. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून में क्या है. और इससे लोगों को डरने की जरुरत है भी या नहीं… या फिर लोग अफवाह के चलते गुमराह होकर इस आग में जल रहे हैं.
हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई को अब आसानी से मिलेगी नागरिकता
- नागरकिता संशोधन कानून से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को अब भारत की नागरिकता आसानी से मिल सकेगी।
11 साल से घटाकर अब 6 साल में मिलेगी नागरिकता
- इस कानून के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव किया गया है। जिसके तहत पहले नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल देश में रहना जरुरी था। लेकिन अब इस कानून के लागू होने के बाद से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए इस समय को 11 साल से घटाकर 6 साल कर दिया गया हैं।
इनर लाइन परमिट और नॉर्थ ईस्ट के चार राज्यों को छूट
- ऐसे राज्य जहां इनर लाइन परमिट (आइएलपी) लागू है और नॉर्थ ईस्ट के चार राज्यों में छह अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों को नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) से छूट दी गई है।
अवैध प्रवासियों के लिए बदले नियम
- सिटिजनशिप एक्ट 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती थी। अवैध प्रवासियों यानि कि ऐसे नागरीक जो जो भारत में वैध दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हैं या तय समय सीमा से ज्यादा समय तक भारत में रुक गए थे। ऐसे प्रवासियों पुराने कानून के आनुसार जेल हो सकती है या उन्हें उनके देश वापस भेजा जा सकता है। लेकिन अब इस कानून 2019 के बाद केंद्र सरकार ने पुराने कानूनों में बदलाव करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई को इससे छूट दे दी है।
नागरिकता संशोधन कानून के देश में लागू होने के बाद देश में भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा हैं। लेकिन कही ना कही इस विरोध के पीछे की बड़ी वजह लोगों के मन में नागरिकता संशोधन कानून के लेकर गलत मित्थ.. तो चलिए अपको इन्ही मित्थ के बारे में बताते हैं।
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