
इंदिरा गांधी भी खाती थीं खौफ
मिथिला में मधुबनी पेंटिंग और मखाना के अलावा 90 के दशक तक ब्राह्मण नेतृत्व का इतिहास भी काफी मजबूत और बेहतर रहा है. इन ब्राह्मण नेताओं की मजबूती और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की बिहार की सत्ता के अलावा इन नेताओं का सिक्का केंद्र में भी चलता था. मिथिलांचल में वामदल हो और कांग्रेस, शीर्ष पर ब्राह्मण ही नेतृत्व में हुआ करते थे. इए जानते हैं उन ब्राह्मण नेताओं के बारे में जिनका दबदबा 90 के दशक में हुआ करता था.
ललित नारायण मिश्रा – पहला नाम आता है पूर्व केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा का, जो दरभंगा से सांसद हुआ करते थे. वे जब तक जीवित रहे, उन्हें केंद्र की राजनीति में भी कद्दावर माना जाता था. वे उस समय प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में से एक माने जाते थे. एक हादसे में उनकी मौत हो गई.
दरभंगा मेडिकल कॉलेज का श्रेय पंडित हरिनाथ मिश्रा को
जगन्नाथ मिश्रा – ललित नारायण मिश्रा के बाद उनके छोटे भाई जगन्नाथ मिश्रा ने राजनीति में कदम रखा. तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. वे झंझारपुर विधानसभा से चुनाव लड़ते थे और जीतते रहे. वे पहली बार 08 अप्रैल, 1975 को बिहार के मुख्यमंत्री बने और 30 अप्रैल, 1977 पद पर बने रहे. दूसरी बार 08 जून 1980 को मुख्यमंत्री बने और 13 अगस्त, 1983 तक इस पद पर बने रहे. तीसरी बार वे 6 दिसम्बर, 1989 को मुख्यमंत्री बने और 10 मार्च, 1990 तक बने रहे. Read More
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