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Monday, March 2, 2020

Delhi हिंसा: एक अनसुलझी कहानी

दिल्ली हिंसा: एक अनसुलझी कहानी

राष्ट्रीय राजधानी Delhi (दिल्ली) में बेहतर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार की है

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और Delhi (दिल्ली) में दंगा, जिसने न जाने कितने लोगों की जानें ले ली और न जाने कितने लोगों को बेघर कर दिया, यहां वही लोग आमने-सामने थे जो कल तक एक साथ दुआ सलाम करते थे, साथ में शाम को चाय पीते थे और एक साथ बैठकर एक दूसरे का दुख,दर्द बांटते थे, लेकिन नागरिकता (संशोधन) की आग ने एक दूसरे का कत्ल कर दिया।
ये कत्ल सिर्फ हिंन्दू और मुसलमान का नहीं बल्कि इंसानियत का भी है। हिन्दुस्तान की फिजाओं में मानवता का ये जहरीला रंग अब लाल होता दिखाई दे रहा है। आखिर वो कौन है,जो राम को रहीम से और श्याम को सलमान से अलग कर रहा है। ये आज की तारीख में एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
कहीं सियासत की बिसात पर तो ये सब नहीं हो रहा। ये एक बड़ा सवाल है। ये सवाल इस लिए भी लाज़मी है क्योंकि दिल्ली की मौजूदा स्थिति को देखें तो, उसमें दिखने वाले इंसान और बोलने वाले लोगों की पहचान की जा सकती है। तीन दिनों तक उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा का केंद्र रहा। हथियारबंद गुंडों के कब्जे में दिल्ली और संगीनो के साये में हिंसक मानवजाति अतीत की ओर देखने के लिए इशारा कर रही है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बेहतर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार की है, और उसी सरकार के नाक के नीचे अराजकता,अंधेरगर्दी, और गुंडागर्दी जैसे शब्दावली अपनी जमीन मजूबत कर रहे हैं। इस हिंसा में अबतक 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में इन तमाम मौतों की जिम्मेदारी किसकी है और किसकी वजह से फूल जैसी दिल्ली को मुर्झाने का काम किया है, ऐसे तमाम पहलु है जो दिल्ली की गलियों में घूम रहे हैं।
दिल्ली हिंसा: एक अनसुलझी कहानी
क्या दिल्ली हिंसा की शुरुआत जहरीले जुबान से शुरु हुई? जो दिल्ली से हैदराबाद और हैदराबाद से बेगुसराय से बोली गई। क्योंकि दिल्ली में दंगा की इतिश्री करने वाले शुरुआती दौर में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर के साथ-साथ ओवैसी एंड कंपनी की टीम थी।
दिल्ली हिंसा: एक अनसुलझी कहानी
हालांकि, इस पूरे परिदृश्य में गृहमंत्री अमित शाह बेदखल रहे। जिस वक्त राजधानी जल रही थी, उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आवभगत करने में मशगूल थे। यहां तक की पीएम को दिल्ली हिंसा में सोशल मीडिया पर आकर एक ‘शांति और सौहार्द’ के लिए ट्वीट करने में 48 घंटे लग गए। जिस दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी बत्तीस लाख, सत्तासी हजार, दो सौ तिरसठ वर्ग किलोमीटर की दूरी का संचालन करते हैं, अगर उसी  दिल्ली को उनको देखने में लोक कल्याण मार्ग से इतनी देर लगे तो पीएम मोदी के इतिहास को देखते हुए तस्वीरों को समझा जा सकता है।
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