पूर्व मंत्री सहित कई नेता ठोक रहे ताल
बिहार के मांझी विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी समिकरण बेहद दिलचस्प है. इस सीट से कांग्रेस नेता विजय शंकर दुबे विधायक हैं. दरअसल, कांग्रेस पिछली बार जेडीयू-आरजेडी महागठबंधन का हिस्सा थी और ये सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. यही कारण है कि जेडीयू का गढ़ माने जाने वाले मांझी में कांग्रेस को भी नीतीश कुमार की पार्टी का समर्थन मिला और जीत हासिल कर ली. लेकिन इस बार जेडीयू बीजेपी के साथ है और कांग्रेस आरजेडी के साथ. ऐसे में इस सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है.
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राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस विधानसभा सीट पर 16 बार हुए चुनावों में सबसे ज्यादा 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है. वहीं, जनता दल यूनाइटेड उम्मीदवार तीन बार यहां से जीतने में सफल रहे हैं. जंग आजादी की हो या लोकतंत्र की, मांझी का इलाका इतिहास रचता रहा है। । यहां की माटी सियासी महारथियों का उद्गम स्थल रहा है। 1930 के आंदोलन से 1942 के अगस्त क्रांति तक स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाले पं. गिरीश तिवारी को 1952 के पहले बिहार विस चुनाव में मांझी विधानसभा क्षेत्र से पहला विधायक बनने का गौरव प्राप्त है। वह 1957 व 1962 में भी चुने गए। श्री कृष्ण सिंह मंत्रिमंडल में शिक्षा राज्य व धार्मिक न्यास मंत्री भी रहे।
मांझी के सियासतदानों ने संभाले सरकारों में अहम मंत्रालय
मांझी विधानसभा क्षेत्र के तीन बार विधायक व सांसद रहे समाजवादी नेता रामबहादुर सिंह ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह पायी। दो बार विधायक चुने गए अब्दुल गफूर मंत्री रहे। रामेश्वर दत्त शर्मा सहकारिता राज्यमंत्री रहे। वर्ष 2000 में यहां निर्दलीय विधायक निर्वाचित होने वाले रवीन्द्रनाथ मिश्र ने राबड़ी देवी के मंत्रिमंडल में पंचायती राज्यमंत्री की कुर्सी संभाली। दो चुनावों में जदयू के सिम्बल पर जीते गौतम सिंह नीतीश मंत्रिमंडल में विज्ञान व प्रौद्योगिकी व गन्ना विकास मंत्री रहे। वर्तमान कांग्रेसी विधायक विजय शंकर दूबे पहले जब सीवान के रघुनाथपुर से विधायक हुआ करते थे तो उन्होंने कई मंत्रालय संभाले। Read More
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